कुंभ मेला 2019 प्रयागराज (इलाहाबाद)
कुंभ मेला उत्सव दुनिया के सबसे बड़े शांतिपूर्ण समारोहों में से एक है, और इसे "धार्मिक तीर्थयात्रियों की दुनिया की सबसे बड़ी मंडली" के रूप में माना जाता है। कुम्भ मेला भारत में लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा मेला है. इसकी आप कल्पना इस बात से कर सकते है की २० करोड़ से ज्यादा लोगो के कुम्भ २०१९ में आने की संभावना है , जो की कई देशो के जनसँख्या से भी ज्यादा है. ४० से जयादा पुलिस स्टेशन, २५००० के लगभग पुलिस , १०० से ज्यादा हॉस्पिटल, १ डीएम, १ एसएसपी ऑफिस है यहाँ पर. ४९ दिन लगने वाला कुंभ दुनिया का सबसे घनत्व वाला देशो से भी ज्यादा घनत्व प्रयागराज का है। जितने लोग मक्का या वैटिकन सिटी या इराक़ जाते है अगर उन सब को मिला ले तो भी कुम्भ की आधी जनसँख्या के बराबर भी नही होगी.
हिन्दू धर्म ग्रन्थ के अनुसार ऐसा मन जाता है की भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि के निर्माण के लिए प्रयागराज में यज्ञ किया था। समुद्र मंथन के बाद जब चन्द्रमा अमृत कलश लेकर जा रहे थे, तो १२ जगह अमृत गिरा था जिनमे ४ जगह धरती पर है बाकि ८ अंतरिक्ष में है| इन्ही चार जगह १ हरिद्वार , २ प्रयाग, ३ उज्जैन और ४ नासिक में है। प्रयाग में कुम्भ का महत्व ज्यादा बढ़ जाता है क्योकि यहाँ गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है। यहाँ श्रद्धालु आ कर गंगा में स्नान करते है। ऐसा माना जाता है की यहाँ नहाने से सारे पाप से मुक्ति मिल जाती है।
कुम्भ में सभी कार्य अस्थायी होते है गंगा नदी के बहाव से पूरा निर्माण कार्य बह जाता है, जिससे अगले वर्ष पुनः निर्माण करना पड़ता है।
कुम्भ को टेंटो(तम्बुओ ) का नगर भी कहा जाता है। जो पूरी रात जगमगाते रहते है।
यमुना नदी का मिलान जब गंगा में होता है तो यमुना नदी वहां से आगे नहीं जाती। यमुना का पानी मिलने के बाद भी गंगा के जल स्तर नहीं बढ़ता है। ना ही गंगा का पानी का रंग बदलता है।
महर्षि भरद्वाज ऋषि की तपोभूमि प्रयाग जहां भगवान राम कई बार प्रयाग में आये भरद्वाज मुनि के दर्शन करने और यज्ञ करने|
वृष राशि में गुरू मकर राशि में सूर्य तथा चंद्रमा माघ मास में अमावस्या के दिन कुम्भपर्व की स्थिति देखी गयी है। 12 वर्ष में बृहस्पति सूर्य का एक चक्कर लगता है इसलिए हर बारहवे वर्ष कुंभ होता है।
प्रयागराज कुंभ मेला पूरी दुनिया में होने वाले सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। हां, यह एक ऐसा समय है जब हिंदू भक्तों का सबसे बड़ा मानव जमावड़ा एक ही स्थान पर आता है। दुनिया भर के लोगों की भागीदारी वाला, यह आयोजन भक्तों के दिलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो स्वयं को शुद्ध करने और गंगा के पवित्र जल में स्नान करके अपने पापों को दूर करने की आशा में यहाँ आते हैं। प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में कुल चार कुंभ मेले आयोजित होते हैं और इनमें से किसी एक स्थान पर समय-समय पर होते रहते हैं।
पूर्ण कुंभ मेला हर 12 साल के अंतराल के बाद आयोजित किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि 2013 में, इस आयोजन ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, जब 120 मिलियन लोगों ने इस धार्मिक सभा को देखा और अनुभव किया। अगला पूर्ण कुंभ मेला वर्ष 2025 के लिए निर्धारित है।
प्रयागराज कुंभ मेला कैसे पहुंचे
हवाई यात्रा मार्ग - उत्तर प्रदेश राज्य में लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और आगरा में चार प्रमुख घरेलू हवाई अड्डे हैं। अधिकतर ये सभी हवाई अड्डे अन्य भारतीय शहरों के साथ बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। यदि आप उड़ान के माध्यम से उत्तर प्रदेश जाने की योजना बना रहे हैं तो आप अपनी सुविधानुसार इनमें से किसी एक हवाई अड्डे का चयन कर सकते हैं। हालांकि, निकटतम हवाई अड्डा बमरौली हवाई अड्डा है। यह प्रयागराज से 10-15 किमी की दूरी पर स्थित है।
१. मकर संक्रांति १५ जनवरी २०१९
२. पौष पूर्णिमा २१ जनवरी २०१९
३. मौनी अमावस्या ४ फरवरी २०१९ (मुख्या स्नान)
४. बसंत पंचमी १० फ़रवरी २०१९
५. माघ पूर्णिमा १९ फ़रवरी २०१९
६. महाशिवरात्रि ४ मार्च २०१९
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