शालिग्राम के पत्थर से क्यों बन रहा है भगवान राम की मूर्ति शालिग्राम ने राम होने की यात्रा ये पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है। हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के लिए तपस्या कर रहे हो। मुक्ति भी मिली तो नेपाल के गंडक नदी से मुक्त हुए और ईश्वर की कृपा हुई तो ये पत्थर स्वयं भगवान हो गए। मेरा ईश्वर में अतिविश्वास है, मैं घोर आस्तिक हूँ मुझे पता है कि कण-कण में भगवान है, हमारे अगल-बगल हर जगह विधमान है। सबकुछ वही कर और करा रहे है। अब देखिए अयोध्या जी में उत्सव का माहौल है क्योंकि राम लला वर्षों बाद अपने जन्मस्थान पर जा रहे है तो ऐसे शुभ कार्य में उनके ससुराल वाले कैसे पीछे रहते। नेपाल की गंडकी नदी से वर्षो पुराने शालिग्राम बाहर निकले है। ये पत्थर मानो भक्ति में 6 करोड़ साल से डूबे हुए थे। प्रभु के कहने से बाहर आए। अब तय किया गया कि इनसे राम मंदिर के गर्भगृह के लिए सीताराम की मूर्ति बनाई जाएगी। प्रभु की लीला देखिए। वर्षो से तपस्या में लीन शालिग्राम को आशीर्वाद में राम होना मिला है, कहते है न कि कण कण में राम है तो शालिग्राम के कण से राम है। जब नेपाल से शालिग्राम ने राम होने
दुनिया के 10 सबसे बड़े हिंदू मंदिर
10. प्रम्बानन, त्रिमूर्ति मंदिर - इंडोनेशिया के मध्य जावा के याग्याकार्टा क्षेत्र में प्रम्बानन त्रिमूर्ति मंदिर स्थित है। ये शिवजी का मंदिर है। इसका निर्माण 9वीं शताब्दी का माना जाता है। यहां की ऊंची और नुकीली वास्तुकला इसे खास बनाती है।
9. थिल्लई नटराज मंदिर
भारत में तमिलनाडु राज्य के चिदंबरम नगर में थिल्लई नटराज मंदिर स्थित है। ये शिवजी का मंदिर है। यहां शिवजी के नटराज स्वरूप में दर्शन होते हैं। यहां गणेशजी, मुरुगन और विष्णु आदि देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। इस मंदिर का निर्माण 10वीं के आसपास माना जाता है।
8. बेलूर मठ, रामकृष्ण मंदिर
भारत में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में बेलूर मठ रामकृष्ण मंदिर स्थित है। ये रामकृष्ण परमहंस मिशन का मुख्यालय है। इसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की थी। यह हुगली नदी के पश्चिमी तट पर बना हुआ है। इसकी स्थापना 1935 में हुई थी।
7. बेसाकी मंदिर
इंडोनेशिया के बाली में बेसाकी मंदिर स्थित है। यहां बालिनी मंदिरों की एक श्रृंखला है। ये मंदिर छह स्तरों में बनाया गया है। ढलान को सीढ़ीदार बनाया गया है। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि यहां 13वीं शताब्दी से यहां पूजा हो रही है। इंडोनेशिया के मध्य जावा क्षेत्र में स्थित प्रम्बानन मंदिर, दक्षिण-पूर्व एशिया में दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर परिसर है। मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित, प्रम्बानन मंदिर में ऐसे स्मारक भी हैं, जो अन्य हिंदू देवताओं को श्रद्धांजलि देते हैं। छोटे आश्चर्य कि यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों का एक हिस्सा है
6.अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली
नई दिल्ली के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर स्वामीनारायण संस्थान द्वारा बनाया गया है। 2005 में मंदिर को दर्शनार्थियों के लिए खोला गया था। मंदिर निर्माण 3,000 स्वयंसेवकों और करीब 7,000 कारीगरों ने मिलकर बनाया था। अक्षरधाम मंदिर का निर्माण बी.ए.पी.एस. यानी बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था की ओर से किया गया हैं। इस मंदिर के निर्माण में भगवान स्वामीनारायण की अध्यात्म परम्परा के पांचवें उत्तराधिकारी “प्रमुखस्वामी महाराज” का महत्वपूर्ण भूमिका रही है. दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 6 नवंबर साल 2005 में हुआ. जिसे 8 नवंबर 2005 में आम जनता के लिए खोल दिया गया था। यहां का म्यूजिकल फाउटेंन काफी प्रसिद्ध है. जहां सुंदर कथा का वर्णन किया जाता है। जिसमें कुछ लोग भी शामिल होते हैं. तरह- तरह प्रकाश और पानी के भाव लोगों का मन जीत लेते हैं।
5. श्री आद्या कात्यायनी शक्ति पीठम्, दिल्ली
दिल्ली में महरौली-गुड़गांव रोड से दूर छतरपुर में माँ देवी दुर्गा के कात्यायनी रूप को समर्पित मंदिर 70 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर वास्तुकला की द्रविड़ शैली को दर्शाता है और कला का एक मंत्रमुग्ध उत्पाद है।
4. श्री राम मंदिर अयोध्या
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम मंदिर की भूमि की पूजा 5 अगस्त को हुई। यह मंदिर लगभग 108 एकड़ में बनाया जाना प्रस्तावित है। यह क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मंदिर होगा।
3. तिरुचिरापल्ली में रंगनाथ स्वामी मंदिर
महाविष्णु को समर्पित तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में रंगनाथ स्वामी मंदिर, दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर परिसर माना जाता है। यह मंदिर, जो एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, 155 एकड़ में फैला हुआ है और यह दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है। इसके अलावा, यह आज दुनिया का सबसे बड़ा कामकाजी मंदिर है।
2. अमेरिका में स्वामीनारायण मंदिर
न्यू जर्सी के रॉबिंसविले में स्वामी नारायण मंदिर परिसर, दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर परिसरों की सूची में एक उल्लेख मिलता है। मंदिर का निर्माण 2010 में शुरू हुआ और चार साल में पूरा हुआ। स्थापत्य आश्चर्य सफेद संगमरमर, चूना पत्थर और भारतीय गुलाबी पत्थर से बना है।
1. अंगकोर वाट '(या, ‘अंगकोर वाट')
कंबोडिया में स्थित यह मंदिर परिसर भगवान विष्णु को समर्पित है। इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी की शुरुआत में खमेर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा किया गया था और अब इसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल माना जाता है। 12 वीं शताब्दी के अंत में, मंदिर एक बौद्ध मंदिर में तब्दील हो गया और इसे "हिंदू-बौद्ध" मंदिर के रूप में वर्णित किया गया। अंगकोर वाट अपनी मूर्तियों के लिए जाना जाता है, जिनमें से कई हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत के एपिसोड प्रदर्शित करते हैं। यह स्मारक राष्ट्र का प्रतीक है और यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। मंदिर 401 एकड़ / 162.6 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें